इस्लाम धर्म पर बौद्ध धर्म कि छाप
इस्लाम धर्म पर बौध्द धर्म कि छाप
पुरात्व सर्वेक्षण से पता चलता है कि मक्का मदीना में भी कभी बौध्द धर्म था। बौध्द धर्म का उदय ईसा से 563 वर्ष पुर्व हुआ था। सम्राट अशोक मौर्य ने 273 से 232 ईसा पुर्व विश्व में शांति स्थापित करने के उद्देशय से बौध्द धर्म को विश्व में फैलाया था। अशोक के लेख- गीक, अरमाईक, पाली और अरबीक भाषा में पाय जाते हैं। और इस्लाम का उदय 1200 साल बाद सातवीं शताब्दी में मक्का- मदीना में हुआ।
(1)– कुरान के 95 वीं सुरह तीन में ( जुलकिफ्त ) नामक शब्द जो कि अरबीक भाषा का है जिसका हिन्दी अर्थ
जुलकिफ्त- कपिलवस्तु वाला य़ा कपिलवस्तु मे जन्म लेने वाला है।
(2)– बुध्द को अरहत कहा जाता है। अरहत का अरबीक भाषा मे अर्थ है। अरहत- अल्लाह।
(3)- बुध्द से बना बुत।
(4)- यदि बौध्द मठों से बुध्द कि मुर्तीयों को हटा दिया जाये तो वो मस्जिद का रुप ले लेती है। बौध्द मठों के गुम्बद और इस्लाम कि मस्जिद के गुम्बद एक हि तरह के होते हैं।
(5)- बुध्द वंदना लाइन में खड़ी होकर कि जाती है वो बनी नमाज पढ़ने कि तहजीब।
(6)- बौध्द धर्म के प्रचार काल में अरब देश को ( वनायु ) के नाम से जाना जाता है।
जिस तरह भरत में बौध्द संगीतीयां होती थी असी तरह अरब देश के राजा ( मगेश ) को शासन काल में आयोजित कि गई थी। व्यपार के माध्यम से अरब देशों में बौध्द धर्म का व्यपाक प्रचार हो चुका था और कई बौध्द विहारों और मठों का निर्माण हो चुका था। भारत में हुऐ बौध्द धर्म पे अत्याचार के कारण मोहम्मद पैगम्बर परिवर्तन किया होगा। इस तरह सातवीं शताब्दी में इस्लाम का उदय हुआ जिस पर बौध्द कि छाप रही।
सम्पूर्ण जानकारी नहीं हैं
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