चन्द्रगुप्त मौर्य और सिकन्दर के बीच युद्ध
चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई. पु.पिप्पलिवन के प्रसिद्ध मोरिय कुल में हुआ था जो शाक्यों की हि एक शाखा थी| ये बात सम्राट अशोक महान के शिला लेख से भी प्रमाणित होती है| चन्द्रगुप्त मौर्य के पिता का नाम विशाल मोरिय और माता का नाम मथुरा मोरिय था| इनके पिता मोरिय गणराज्य के सम्राट थे| इस राज्य के लोग मोर पालते थे जिसके कारण राज्य का नाम मोरिय गणराज्य और ये बाद में भाषा परिवर्तन के वजह से मौर्य कहलाये|
विदूडभ के आक्रमण से शाक्य राजपरिवार के लोग तितर बितर हो गये । जो लोग पिप्लिवन गये वहां मोर बहुतायत थे।
कुछ लोग अपनी पहचान छिपाकर रहते थे लेकिन लोगों को पता था कि ये लोग शाक्य सेना मे थे , लोग उन्हें सेनिय कह कर पुकारते थे । ज्ञात हो कि इनमें से कुछ लोग सरेनी गणराज्य की स्थापना किये ( वर्तमान हिसार) यह काफी वीर थे , इनकी तुलना स्पार्टा के सैनिकों से की गयी है । यही सेनिय और सरेनी बाद मे सैनी बन गया । कुछ लोग छिपकर खेती बारी का काम करना शुरू कर दिये जिन्हें खत्तीय कहा गया । बाद मे ये लोग भी सरेनी सेना में शामिल हुये। चन्द्रगुप्त मौर्य शाक्य वंश की शाखा मोरिय कुल से थे ।
चन्द्रगुप्त मौर्य मगध सेना में एक सैनिक थे किन्तु अपनी कार्य कुशलता के कारण उन्होने जल्द ही सेनापति के पद को सुशोभित किया| किन्तु घनानन्द के दुर्व्यवहार के खिलाफ इन्होंने आवाज उठाई जिसके कारण इन्हें मृत्यु दण्ड मिला पर चन्द्रगुप्त मगध से भागने में सफल रहे ।
चन्द्रगुप्त अपने साथियों के साथ विध्यांचल के जंगलों में चले गये । विध्यांचल के जंगलो और पहाड़ों पर रहने वालो युवकों को साथ लेकर एक सेना का गठन किया| ये सेना जानवरों की खाल पहनते थे और चेहरे पर गोरिल्ला का मुखौटा पहनते थे जिसके कारण इस सेना का नाम गोरिल्ला सेना पड़ा जो छापामार युद्ध की रणनीति में माहिर थे ।
विश्वविजय का सपना लिये सिकन्दर पोरस को हराने के बाद उससे सन्धि कर पंजाब तक आ पहुचां था| पंजाब में चन्द्रगुप्त मौर्य सिकन्दर से मिले | किन्तु चन्द्रगुप्त मौर्य के स्वतन्त्र विचार सिकन्दर को पसन्द न आये | सिकन्दर ने चन्द्रगुप्त मौर्य का वध करने का आदेश दे दिया | किन्तु चन्द्रगुप्त मौर्य अपनी कुटिनीति से बच निकले और सिकन्दर से बदला लेने की ठान ली | किन्तु चन्द्रगुप्त मौर्य जनते थे की उनकी छोटी सेना, सिकन्दर की विशाल सेना का सामना नही कर सकती | किन्तु उन्हें अपनी सेना कि काबिलियत पर पूरा भरोसा था | पहाड़ो और जंगलो में रहने के कारण उनकी सेना पहाड़ो और जंगलो में युद्ध करने में माहिर थी और जंगलों के चप्पे-चप्पे से वाकिफ भी जबकि सिकन्दर की सेना जंगल के रास्तों से अनभिज्ञय थी |
चन्द्रगुप्त मौर्य ने इसी का फायदा उठाया जब सिकन्दर अपनी सेना के साथ पंजाब के जंगलो से होकर उत्तर भारत की तरफ बढ़ रहा था | चन्द्रगुप्त मौर्य ने उसकी सेना पर आक्रमण कर दिया और सिकन्दर पर अपना निशाना साधा | चन्द्रगुप्त मौर्य ने सिकन्दर को एक विषैला बाण मारा जो सिकन्दर के शीने में जा लगा और सिकन्दर घायल हो वही गिर पड़ा | उसकी सेना सिकन्दर को ले वही से लौट गई |
जहर धीरे-धीरे सिकन्दर के शरीर में फैलता गया | यूनान वापस जाते वक्त बगदाद के पास बेबीलोन में फैलते विष के कारण 323 ई पु उसकी मृत्यु हो गई ।
" इसका उल्लेख इंग्लिश फ़िल्म अलेक्जेंडर में भी दिखाया गया है ।"
सिकन्दर को हराने के बाद सम्पूर्ण पंजाब पर सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का अधिपत्य हो गया | पंजाब विजय के बाद चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना और शक्तिशाली हो गई थी | घनानन्द के अत्याचार से परेशान अन्य राजा भी चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ आ गये | जिसमे कुलूत का राजा चित्रवर्मा, मलय का राजा सिंहनन्द, कुण्डलवन (कश्मीर) का राजा पुष्कराक्ष, सिन्धु का राजा सिन्धुषण और पारसी का राजा मेघाक्ष प्रमुख थे |
चन्द्रगुप्त मौर्य मगध को कूटनीतिक रूप से घेर लिये थे। भीषण युद्ध के बाद अत्याचारी घनानन्द को बंदी बनाया गया | तभी राजा प्रवर्धक इस मगध का आधा भाग हड़पने की कोशिश किया , किन्तु सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य की कुटनीति द्वारा प्रवर्धक और उसके पुत्र मलयकेतु को भी बंदी बना लिया गया | इस तरह सम्पूर्ण मगध पर चन्द्रगुप्त मौर्य का अधिपत्य हो गया | 321 ई. पू. चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्याभिषेक हुआ
चन्द्रगुप्त मौर्य ने अंतिम युद्ध सिकन्दर के सेनापति सेल्युकस से हुआ जिसमे सेल्युकस की हार हुई| उसने चन्द्रगुप्त मौर्य से सन्धि कर ली और अपनी पुत्री का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य से कर दिया| उपहार स्वरूप गंधार से सीरिया तक का राज्य चन्द्रगुप्त को दे दिया | इस तरह मौर्य सम्राज्य तमिल से लेकर सीरिया तक फैला हुआ था| सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य भारत के इतिहास में प्रथम चक्रवर्ती सम्राट बने जिन्होंने अखण्ड भारत का निर्माण किया|
ज्ञानवर्धक
ReplyDeleteDoston ! Helena ki aatm katha padhiye aapko durlabh jaankaariyan milengi . Helan selucas ki beti thi .
Deleteकहाँ से मिलेगी ये आत्मकथा
Deletemaurya par mujha ghrb hai
ReplyDeleteNo doubt, Chandragupta Maurya was a great king of India.
DeleteNot right information
DeletePorus sikandar bare me auor chadrgupt moury me bich bistar she bataye
ReplyDeleteKya chandragupt ne poras ko Mara tha
ReplyDeleteNahi
Deleteपोरस के समय चंद्रगुप्त मौर्य के जन्म भी नहीं हुआ था
DeleteJaybhim,,mulniwasi moryawansm
ReplyDeletePoros ko kon ko
ReplyDeleteYe galat hai ..... Aap iska source do jisse mai isko clarify kar paau
ReplyDeleteJay maury vanshi jay ashoka
ReplyDeleteGalat Chandergupt ka koi bhi vishela ban sikander ko nhi lga tha. Sikander ki death maleria ki vajah se hui in age of 33
ReplyDeleteYe bat jhuy h... Aapko yawno ko book m sirf sikandar ki महानता dikhegi wo ज्यादातर bate jhut likhte the
DeleteGalat sikandar to 326 bc me bharat aaya tha to yahan 323 me mrne ki baat kr rha hai
ReplyDelete326 sal pehle wo bharat ayaa or 323 sal pehle wo mraa
Deleteमुद्राराक्षस नामक पुस्तक को पढ़ो अपने गलत ज्ञान की जानकारी हो जाएगी
ReplyDeleteWriter be vishakdut
DeleteSikander ko to porus ne haraya tha...
ReplyDeleteChandragupt ke time me to vo h hi nhi tha...
Friend ye hi questions mera hai ans mile to bata dena
DeleteBhai pouras se buri tarah harne k bad wo dusri taraf se bhaga jis raste se aya tha waha se nhi... Or usi bich jat logo se youdh hua tha jisme chandraguta v the... Chandraguta us waqt raja nhi bnr the
Deletebook ka nam batao
ReplyDeleteJai ho Maurya vans
ReplyDeleteMujhe Garv h ki mera janm Maurya vans m hua h bs dukh issi baat ka h ki Maurya vans ki mukhya phchan Maurya vans ko na mil saki...
पोरस से युद्ध के बाद दोस्ती की सिकंदर ने और बापस चला गया मैसेडोनिया पहुचने से पहले ही बेबीलोन नामक जगह पे उनकी डेथ हो गयी उनका एक सेनापति यही भारत मे रह गया था जिसका नाम था सिल्यूकस उससे युद्ध लड़ा था चंद्रगुप्त मौर्य ने
ReplyDeletemturnt.blogspot.com
ReplyDeleteWow chandragupt maury is grate
ReplyDeletePoras ke war ke Baad maleriya se mara tha .. to chandragupt se ladai kab ho gai kaise
ReplyDeleteSari kahani hi galat hai
ReplyDeleteप्रमाणिक कुछ नहीं हैं
DeleteChanakya ka kahi naam hi nahi aaya
ReplyDeleteChandragupt ke guru chanakya the
ReplyDeleteMathura mourya agr chandragupt ki mata thi to sir Mura kiski mata thi tb
ReplyDeleteआज से जो जिता वो सिकंदर नहि चंद्रगुप्त कहो
ReplyDeleteGood
Deleteसिकंदर को भी मौर्यो ने पराजित किया तो कैसा विश्व विजेता
DeletePahli bat to ye batao kaha likha h ki dhananand ki sena m sainik tha
ReplyDeleteलगभग यह बात प्रमाणित नहीं हैं
Deleteएसी कौन सी किताब हैं जिसमें सम्पूर्ण भारतीय इतिहास शामिल किया गया हो
ReplyDeleteप्लीज किताब का नाम बताओ मेरे जीवन में काम की हैं
ReplyDeleteमूरा अशोक महान की मां थीं
ReplyDeleteIs me aapne chanakya yani vishnugupt ka kahi nam nahi liya kyon?
ReplyDeleteपूरी झूठ है कहानी है। चाण्क्य का कोई रोल ही नही है। कोई चालबाज झूठा है।
ReplyDeleteगलत जानकारी है। कृपया सही जानकारी पोस्ट करे। गलत जानकारी से भृम न फैलाये।
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